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भयानक बाढ़ से भी नहीं चेते municipal और administration,और अधिक भयानक हादसे का इंतजार!

मोहनलाल मोदी 
भारी बारिश ने जो तबाही मचाई, उसे देखकर और भुगत कर गुना के नागरिक सोच रहे होंगे कि अब नगर पालिका जागेगी। बाढ़ जिन कारणों के चलते आई थी, उन पर गौर किया जाएगा। लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से सब कुछ जैसा का तैसा है। बल्कि हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगर फिर से ऐसी ही जोरदार बारिश हुई तो तबाही पहले से भी ज्यादा होने की आशंका बनी हुई है।
 
उल्लेखनीय है की बारिश से पहले गुना की नगर पालिका और प्रशासन को आगाह किया गया था कि वहां की गुनिया नदी पर भारी अतिक्रमण किया जा रहा है । उसके दोनों तरफ भारी भरकम निर्माण हो चुके हैं। फल स्वरुप शहर की प्रमुख नदी गंदा नाला बनकर रह गई है। जिन नालों से शहर का पानी इस नदी के रास्ते बाहर निकल जाया करता था, वे भी अवैध कब्जों के शिकार हो गए हैं। नदी के साथ नालों पर भी पक्के मकानों दुकानों का निर्माण हो चुका है । कैंट थाने के सामने स्थित एक फैब्रिकेशन दुकान के आगे पीछे के जो दो फोटो डाले गए हैं इनका निर्माण तो नदी को बीचो-बीच हुआ है । लेकिन किसी को दिखाई नहीं देता।
उम्मीद थी कि ध्यान आकर्षण कराए जाने पर नगर पालिका और प्रशासन जागेंगे। नदी और नालों के स्थाई अतिक्रमण हटाए जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। खुद नगर पालिका भी गुनिया नदी के किनारे प्रधानमंत्री आवास के नाम पर मकान बनवाकर हितग्राहियों की जान आफत में डालते दिखाई दी।

28 और 29 जुलाई को जब जोर की बारिश हुई तो गुनिया नदी और उससे मिलने वाले नालों ने कहर बरपा दिया। क्या निचले और क्या मझौले, हर इलाके में बाढ़ के हालात बन गए। एक युवक जो अपनी गुमटी में बैठा हुआ था, वह गुमटी समेत पानी में बह गया। खबर लिखे जाने तक वह भी लापता बना हुआ है। जबकि सैकड़ो परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए । सैकड़ों कच्चे पक्के मकान केवल डूबे ही नहीं बल्कि पानी के जमाव और दबाव से ढह भी गए। हजारों मकान के भीतर राशन कपड़े विद्युत उपकरण बिस्तर आदि बर्बाद हो गए।अब जब जनजीवन सामान्य हो रहा है तब गुना के निवासी अपनी नगर पालिका और प्रशासन से उम्मीद कर रहे हैं कि देर से ही सही, सबक मिलने के बाद तो नदी नालों से अतिक्रमण हट ही जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य, हालात जस के तस बने हुए हैं । बल्कि इस बेहद महत्वपूर्ण नदी के किनारों पर तेजी से निर्माण होते चले जा रहे हैं। जानकर आश्चर्य होगा कि कई निर्माण तो नपा अध्यक्ष और नपा अधिकारी की शह पाकर ही किये जा रहे हैं । आशंका व्यक्त की जा रही है कि फिर से तेज बारिश हुई तो पुनः बाढ़ के हालात बन सकते हैं। घबराहट का कारण नगर पालिका की हरकतें -
गुना नगर के कैंट क्षेत्र में श्मशान भूमि के ठीक पीछे होकर गुनिया नदी गुजरती है। नदी के दक्षिणी किनारे पर घनी बस्ती है। जिसमें गुलाबगंज कैंट और पटेल नगर का बहुत बड़ा हिस्सा आता है। यह भूभाग पानी में इसलिए डूबा, क्योंकि नदी के उत्तरी किनारे पर सड़क काफी ऊंचाई देकर बनाई गई है । इसी एक तरफा ऊंचाई की वजह से नदी के दक्षिणी किनारे की बस्तियां डूब जाती हैं।क्योंकि पानी को उत्तर दिशा की ओर फैलने का स्थान नहीं मिल पाता। लोगों का आर्थिक नुकसान हो जाता है और अनिष्ट की आशंका बनी रहती है। इससे भी ज्यादा बुरी हालत लगभग 6-7 फीट ऊंची उस बाउंड्री वाल ने कर दी है जो सड़क से भी ऊपर नगर पालिका द्वारा बनवाई गई है। 
कोड़ में खाज के हालात तब बन रहे हैं जब नदी के उत्तरी छोर पर पहले से ही ऊंची बनी सड़क पर पक्के मकान भी बनते जा रहे हैं। बताया जाता है कि इन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत नगर पालिका द्वारा ही जमीन उपलब्ध कराकर हितग्राहियों की जान खतरे में डाली जा रही है। लिखने का आशय यह है कि नदी का उत्तरी किनारा, सड़क, उस पर बाउंड्री बाल और प्रधानमंत्री आवासों के निर्माण के चलते नदी तल से 10 फुट ऊंचा हो चला है। 
जबकि दक्षिणी किनारा पहले से ही नीचे था। स्पष्ट करें तो उत्तरी किनारे की ऊंचाई ज्यादा कर दिए जाने से दक्षिणी किनारा पाताल लोक बनता जा रहा है ।
नगर पालिका और प्रशासन के अधिकारियों का क्या बिगाड़ा है, नदी के दक्षिणी किनारे पर बसे निरीह लोगों ने?
उन्हें राहत सामग्री पहुंचाने की बात तो दूर रही। उनके चारों ओर मौत का साजो समान एकत्रित किया जाना कहां का न्याय है?
क्या इन लापरवाहियों के लिए नगर पालिका अध्यक्ष और प्रभारी सीएमओ के खिलाफ अदालत में नामजद परिवाद दायर नहीं किए जाने चाहिए।
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