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सीतला सप्तमी: जानें धार्मिक परंपरा का महत्व और अनुष्ठान

सीतला सप्तमी का अर्थ और महत्व

सीतला माता,


शब्‍दघोष, भोपाल, 1 अप्रैल:आज चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर सीतला सप्तमी का धूमधाम से आयोजन किया गया। यह पर्व महिलाओं के लिए सुख, समृद्धि, और आरोग्य की कामना के साथ मनाया गया। इस महत्वपूर्ण दिन पर सीतला माता की पूजा करने के लिए लोगों ने उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए मनाया।

आदर्श परंपरा: सीतला सप्तमी के पर्व के माध्यम से, लोग अपने जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करते हैं। इस अवसर पर सीतला माता की पूजा करने से संक्रमणजनित रोगों का नाश होता है, जो आर्थिक संकटों का समाधान करते हैं।

ज्योतिष के अनुसार: ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सीतला माता की पूजा से ज्वर, जरा, और व्याधियों से मुक्ति प्राप्त होती है। इसलिए सीतला सप्तमी का धर्मिक महत्व है।

धार्मिक अनुष्ठान: सीतला सप्तमी के दिन, लोगों ने शीत रुद्राक्ष के साथ श्रीफल का पूजन किया और ठंडा भोजन किया। इसे लोग देवी को अर्पित कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की।

वैज्ञानिक आधार: इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। ऋतु परिवर्तन के समय, ठंडा भोजन संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और अन्यायित रोगों से बचाव करता है। यह धार्मिक परंपरा के साथ-साथ वसंत और ग्रीष्म ऋतु के स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव डालती है।

 इस प्रकार, सीतला सप्तमी का अद्भुत त्योहार लोगों को आत्म-सांतुष्टि और आर्थिक संपन्नता की कामना के साथ संतुष्ट करता है। यह दिन धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो लोगों को सुखद और समृद्ध जीवन की दिशा में प्रेरित करता है।



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