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क्रॉस FIR का कमाल, जानलेवा हमले में घायल फरियादी को बना दिया आरोपी !

क्रॉस FIR का कमाल !
जानलेवा हमले में घायल फरियादी को बना दिया आरोपी !

गुना, शब्दघोष। जिले के कैंट थाने में दो आपस में उलझे हुए दो अनोखे मामलों ने पुलिस को ही पशोपेश में डाल दिया है। दरअसल केंट पुलिस को एक कथित एनजीओ के दबाव में आकर उस व्यक्ति के खिलाफ अपहरण की FIR दर्ज करनी पड़ गई जो एक जानलेवा हमले में घायल होकर अभी इलाजरत ही बना हुआ है।
पहला मामला विगत 4 जून 2025 के रोज मध्यान्ह 11 बजकर 45 मिनट पर घटित होना दर्ज है। इस आपराधिक मामले के मुताबिक फरियादी कमलेश शिवहरे कैंट पुलिस को जिला चिकित्सालय में मिला‌। जैसा की रपट में दर्ज है, कमलेश के पैर में गोली लगी थी। चिकित्सालय में ही दर्ज कराए गए उसके बयान को आधार बनाकर पुलिस ने पारदी समुदाय के आठ नामजद एवं उनके अन्य अज्ञात साथियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। वारदात का विवरण कुछ इस प्रकार है। शराब के व्यावसायिक संस्थान प्रेम नगर ग्रुप का मुनीम कमलेश शिवहरे 4 जून की सुबह 11:00 बजे हिलगना स्थित शराब दुकान से गुना शहर की ओर रवाना हुआ। लगभग 11 बजकर 15 मिनट पर वह साईं बाबा के मंदिर से होकर गुजर रहा था। तभी परदियों के एक गिरोह ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया। उसे यह कहकर पैर में गोली मारी गई कि वह अवैध शराब के अड्डों पर पुलिस के छापे पड़वाता है। बकौल कमलेश शिवहरि वह अपने साथियों की मदद से जान बचाने में सफल रहा और 11 बजकर 30 मिनट के आसपास जिला चिकित्सालय पहुंच गया। हालात गंभीर होने पर चिकित्सकों द्वारा उसे ग्वालियर रेफर कर दिया गया।
अभी फरियादी कमलेश शिवहरे का इलाज चल ही रहा था। दूसरी ओर पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी हुई थी। तभी पारदियों के बीच सक्रिय एक एनजीओ का दबाव कुछ ऐसा चला कि केंट पुलिस को एक और रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ गई। इसमें 19 जून को केंट थाने पहुंची साहिब पारदी नाम की महिला ने आरोप लगाया कि 4 जून को मध्यान्ह 11:00 बजे कमलेश शिवहरे अपने साथियों के साथ गोकुल सिंह के चक पर पहुंचा। वहां से उसने मेरे भाई रुद्रांश उर्फ रूद्रराज का अपहरण कर लिया। मैंने भाई को बचाने का प्रयास किया तो मेरे साथ भी मारपीट की। यानि कल तक पुलिस रिकॉर्ड में जो कमलेश शिवहरे फरियादी हुआ करता था, जिस पर प्राण घातक हमला हुआ था और उसके पैर में गोली भी लगी थी, दूसरी रिपोर्ट में उसे अचानक आरोपी बना दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि जब दूसरी रिपोर्ट की फरियादिया साहिबा का भाई 4 जून को अपहृत हुआ था तो वह उसी दिन पुलिस के पास क्यों नहीं पहुंची? यदि 4 जून को दिनदहाड़े गोकुल सिंह के चक पर अपहरण की घटना घटी थी तो फिर इलेक्ट्रॉनिक, सोशल एवं प्रिंट, किसी भी स्तर के मीडिया में अपहरण का समाचार प्रकाशित अथवा प्रसारित क्यों नहीं हुआ? साहिबा के अनुसार यदि कमलेश उसके भाई का अपहरण कर्ता है तो फिर कमलेश के पैर में गोली किसने मारी?
ये वो सवाल हैं, जिनके जवाब अब पुलिस को खोजने हैं। थाने में दूसरी रिपोर्ट कहीं कमलेश पर अपनी रिपोर्ट वापस लेने का दवाब बनाने के लिए तो दर्ज नहीं कराई गई? पुलिस को इस नजरिए से भी जांच करने की आवश्यकता है।
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