गंदगीऔर अतिक्रमणों ने गुनिया नदी को गंदा नाला बनाया
गुना, शब्दघोष संवाददाता।
जिस गुनिया नदी को गुना की पहचान बताया जाता है और जिसे बचाने के लिए शहर के कुछ समाजसेवी लगातार आंदोलनरत बने रहते हैं, उस नदी को कचरे के ढेरों और दोनों किनारों पर होने वाले अतिक्रमणों ने गंदा नाला बनाकर रख दिया है। अवैध निर्माण के चलते नदी लगातार संकीर्ण हो रही है। आसपास के रहवासी इलाकों का कचरा इसमें डाला जा रहा है। नगर पालिका भी इसकी सफाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभा रही है। मानसून पूर्व रखरखाव के नाम पर इस तथा कथित नदी अर्थात गंदे नाले से जो कचरा निकाला गया, उसके ढेर दोनों किनारों पर लगा दिए गए। जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी भौतिक परीक्षण करने की जहमत उठाएंगे तो यह कचरा मौके पर देखने मिल जाएगा।
जानबूझकर आंख मूंदे बैठे जिम्मेदार अधिकारी
लेकिन न जाने क्यों, नगर पालिका के जनप्रतिनिधि, अधिकारी और प्रशासनिक अफसरान इस ओर से उदासीन बने हुए हैं। पूरे शहर में जहां-जहां से होकर यह नदी अर्थात नाला गुजरता है, दोनों ओर पक्के निर्माण हो चुके हैं और अभी भी रफ्तार पड़े हुए हैं। मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित होती हैं। लेकिन इन्हें लगातार नजरअंदाज किया जाता है। सफाई के मामले में ठेका पद्धति पर काम करने वाली मुनाफाखोर एजेंसियां जो भी गोलमोल रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं, उन्हें आंख मूंदकर मान लिया जाता है। लाखों रुपए के भुगतान कागजों पर दर्शाई गई झूठ-मूठ की सफाई को सच मानकर कर दिया जाता है। फल स्वरुप ठेकेदारों की मौज बनी रहती है, जबकि शहर के निचले इलाकों और पिछड़ी बस्तियों में बारिश का पानी भरता रहता है।
नदी के दोनों ओर भारी पैमाने पर अवैध निर्माण
गौर से देखें तो क्या कैंट और क्या शहर, दोनों ही इलाकों में इस नदी के किनारो पर जमकर अवैध निर्माण हुए हैं। इन अतिक्रमणकारियों में एक ओर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग शामिल हैं, तो वहीं धनाढ्य वर्ग ने भी कतई संकोच नहीं किया है। जिसका जितना सामर्थ्य था, उसने सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस नदी की जमीन को बेरहमी से दबाया है। उदाहरण के लिए कुछ साक्ष्य हमारे द्वारा एकत्रित किए गए हैं।
बड़े पुल का बुरा हाल
शहर का तथाकथित बड़ा पुल अब स्वयं के नाम पर कलंक साबित हो रहा है। इसकी एक तरफ की बाउंड्री तोड़कर प्रभावशाली लोग इसे अपनी व्यक्तिगत संपत्ति का हिस्सा बन चुके हैं। पुल के दोनों और पानी के बहाव के उन रास्तों को स्थाई निर्माण से घेरा जा चुका है, जहां से शहर भर का पानी बहकर इस नाले में मिला करता था।
तीन मंजिला अवैध निर्माण
बड़े पुल के नीचे पुराना काली मंदिर है। इसके ठीक बाजू में, पुल से एकदम सट कर तीन मंजिला अवैध निर्माण किया गया है। पहली मंजिल बेसमेंट है, जिसमें एक परिवार निवास करता है। भूतल पर इसमें चाय की दुकान संचालित हो रही है। प्रथम तल पर पिलर और बीम खड़े हो चुके हैं। इस निर्माण का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसमें नीचे बगैर किसी सहारे के, नाले की ओर 10 फुट के बीम आगे निकालकर, उस पर पूरा एक कमरा बनाने के लिए पिलर खड़े कर दिए गए हैं। देखते ही समझ में आ जाता है कि जब यह खतरनाक, अवैध निर्माण गिरेगा तो इसमें रहने वाले लोगों की जान तो खतरे में पड़ेगी ही, नीचे से गुजरने वाले लोग भी शायद ही बच पाएंगे।
नाल में फेब्रिकेशन की दुकान
केंट थाने के पास स्थित मीट मार्केट के सामने "सिध्दी विनायक फेब्रिकेशन वर्क" नाम की दुकान है। यह पुलिया के किनारे पूरी तरह से नाले में ही बनी हुई है। बारिश के मौसम में पानी का तेज बहाव दुकान की पिछली दीवारों से टकराता है। यह स्थिति कभी भी खतरनाक और जनहानि कारक साबित हो सकती है।
शमशान के पीछे निर्माण जारी
केंट की शमशान भूमि के पीछे नाले के ठीक किनारे कुछ अवैध निर्माण हो चुके हैं। इनकी देखा देखी एक और अवैध निर्माण शुरू हो गया है। इन सभी निर्माणों के पिछले पिलर नाले में ही खड़े किए गए हैं, जो कभी भी भारी जन धन हानि का कारण साबित हो सकते हैं। जल्द हस्तक्षेप ना हुआ तो कुछ ही दिनों में एक और अवैध निर्माण पूर्णता को प्राप्त होने जा रहा है।
उपरोक्त सभी साक्ष्य यह बताते हैं कि नदी नाला बनी नहीं, बनाई गई है। यह स्वत: गंदी नहीं हुई, इसे गंदा किया गया है। इसके दोनों ओर की बेशकीमती भूमि पर अवैध निर्माण करके इसे गुना वासियों के लिए खतरनाक बनाया जा चुका है। इन सभी स्थितियों पर निगरानी करना स्थानीय निकाय और प्रशासन में बैठे अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है। फिलहाल तो यह सब उपरोक्त हालातों के प्रति भी बेपरवाह ही नजर आते हैं।
#Guna #guniya nadi #municipal #administration #encroachment #invalid construction #Kent Guna #bada pul #Kali Mandir #shabdghosh #Mohanlal Modi
0 टिप्पणियाँ