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आचार संहिता लगते ही टलने लगी एमपी-एमएलए कोर्ट की सुनवाई

 प्रधानमंत्री के खिलाफ बयान देने वाले भी कोर्ट नहीं आते

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शब्‍दघोष,भोपाल: मध्य प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। नेता-विधायकों को न्यायालय में पेश नहीं हो रहा है, बल्कि कई बार उन्हें कोर्ट की बुलाई पर भी टाल दिया जा रहा है। इसके साथ ही जिला न्यायालय में चल रहे उनके खिलाफ मुकदमों में विलंब हो रहा है।

नेता-विधायकों की बिजी तैयारियां:आचार संहिता के लागू होने के साथ ही नेता-विधायक अपनी बिजी तैयारियों में व्यस्त नजर आ रहे हैं। कुछ चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं, तो कुछ लड़वाने की। इसके बीच उन्हें अपने न्यायिक मुकदमों की चिंता भी है।

प्रधानमंत्री के खिलाफ बयान देने वाले भी कोर्ट नहीं आते: पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे मामले में भी उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में बहाल नहीं किया जा रहा है। पटेरिया ने देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके चलते उन्हें कोर्ट में पेश होना चाहिए था।

नाराजगी जताता है कोर्ट: जिला न्यायालय के एमपी-एमएलए कोर्ट में विधायक बाबू जंडैल के खिलाफ चल रहे मामले में भी कोर्ट को नाराजगी जताई गई है। उन्हें कई बार न्यायिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए बुलाया गया है, लेकिन वह पेश नहीं हो रहे हैं।

सुनवाई में लगा देते हैं आवेदन: विधायक बाबू जंडेल के खिलाफ महिला सब इंस्पेक्टर को फोन पर गाली देने के मामले में भी कोर्ट में पेशी की बजाय वह सुनवाई में आवेदन लगा देते हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया में विलंब हो रहा है।

पड़ते हैं विपरीत प्रभाव: न्यायिक प्रक्रिया में विलंब के कारण नागरिकों को विपरीत प्रभाव महसूस हो रहा है। मामले की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय से आदेश भी आ चुके हैं, लेकिन नेताओं का गैरजिम्मेदाराना रवैया समय पर निपटने नहीं दे रहा है। इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।


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