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Bihar election सही मायने में Modi magic और जनता का अटूट विश्वास : dr. Raghvendra Sharma

बिहार चुनाव 2025 'मोदी मैजिक' 
और जनता का अटूट विश्वास

डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा। 
​बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की एकतरफा जीत के साथ देश के राजनीतिक फलक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अजेय होने की धारणा को और अधिक मजबूती प्रदान कर दी है। यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं है, बल्कि यह उस अटूट विश्वास का प्रकटीकरण है, जो बिहार की 'जनता-जनार्दन' ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व, उनकी विकासपरक नीतियों और सुशासन की गारंटी में दिखाया है। इस प्रचंड जनादेश ने भारतीय जनता पार्टी और आम नागरिक के बीच के भरोसे के बंधन को एक नई ऊंचाई और अधिक दृढ़ता दी है। ​बिहार की यह विजय कई मायनों में ऐतिहासिक है। एक ऐसा राज्य जिसने हमेशा जातिगत समीकरणों और क्षेत्रीय क्षत्रपों की राजनीति को प्राथमिकता दी है, वहाँ विकास और सुशासन के नाम पर मिला यह जनादेश एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव का संकेत देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से केंद्र की योजनाओं, जैसे कि मुफ्त अनाज वितरण, आवास योजनाएं, शौचालय निर्माण, हर घर नल का जल, और आयुष्मान भारत को बिहार के गरीब और वंचित वर्ग तक पहुँचाया, उससे एक सकारात्मक जनमत तैयार हुआ। जनता ने महसूस किया कि केंद्र सरकार उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
​चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को सिर्फ एक राष्ट्रीय नेता के रूप में नहीं, बल्कि बिहार के विकास के एक भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी हर रैली में, उन्होंने न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की बात की, बल्कि स्थानीय समस्याओं और उनके समाधान की भी चर्चा की। इस सीधे संवाद ने जनता को यह विश्वास दिलाया कि उनका वोट सिर्फ सरकार बदलने के लिए नहीं, बल्कि अपने और अपने राज्य के भविष्य को संवारने के लिए है। यह 'मोदी मैजिक' अब केवल राष्ट्रीय चुनावों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी अपनी व्यापक और गहरी जड़ें जमा चुका है। ​चुनाव परिणाम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मतदाता अब केवल भावनात्मक नारों से प्रभावित नहीं होते। उन्हें ठोस काम और परिणाम चाहिए। बिहार की जनता ने भाजपा की राष्ट्रीय दृष्टि और स्थानीय सहयोगी दलों जैसे जदयू, लोजपा राम विलास और हम के सुशासन के प्रयासों को एक साथ जोड़कर देखा। ​यह जनादेश विपक्षी दलों के लिए एक गंभीर सबक है। उन्होंने शायद जातिगत गणित और पारंपरिक वोटबैंक की राजनीति पर अत्यधिक भरोसा किया, जबकि जनता अब विकास को प्राथमिकता दे रही है। प्रधानमंत्री मोदी की छवि, उनकी स्पष्ट नीति, और ईमानदारी की धारणा ने भाजपा को एक ऐसे दल के रूप में स्थापित किया है जो न केवल वादे करता है, बल्कि उन्हें पूरा भी करता है।
​यह जीत इस बात का प्रमाण है कि केंद्र की कल्याणकारी नीतियों का सीधा लाभ लोगों तक पहुँचा। जनता ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे अराजकता और भ्रष्टाचार से मुक्त शासन को बनाए रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर जनता का भरोसा, जो कठिन समय में भी देश को सही दिशा देने की क्षमता रखता है। ​बिहार की एकतरफा जीत ने निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'अजेय योद्धा' के रूप में स्थापित कर दिया है। यह उपाधि केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह उनकी राजनीतिक सूझबूझ, जन-जुड़ाव और देश के हर कोने में उनकी स्वीकृति का परिणाम है। यह चुनाव परिणाम यह सिद्ध करता है कि प्रधानमंत्री मोदी की अपील किसी एक क्षेत्र या वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक अखिल भारतीय परिघटना है।
​विपक्षी दलों के लिए यह जनादेश एक गहन आत्ममंथन का समय है। उन्हें समझना होगा कि क्षेत्रीय गठबंधन और पुरानी राजनीतिक शैली अब काम नहीं कर रही है। जब तक वे एक मजबूत, एकजुट विकल्प और प्रधानमंत्री मोदी के विकास मॉडल का एक प्रभावी प्रति-आख्यान प्रस्तुत नहीं करते, तब तक उन्हें इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ​यह जीत जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी जनता की अपेक्षाएं भी हैं। बिहार जैसे विकासशील राज्य में, नई सरकार पर बुनियादी ढांचे, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का भारी दायित्व है। एनडीए को इस प्रचंड जनादेश को 'विश्राम' के रूप में नहीं, बल्कि 'नए संकल्प' के रूप में लेना होगा। अब सरकार को न केवल विकास की गति को बनाए रखना होगा, बल्कि उसे और भी तेज करना होगा ताकि बिहार सही मायनों में भारत के विकास इंजन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके। बिहार का जनादेश 2025 स्थिरता, विकास और नेतृत्व में विश्वास की कहानी है। यह एक ऐसी विजय है जिसने भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति को और भी मजबूत कर दिया है, और यह सिद्ध कर दिया है कि जब नेतृत्व पर जनता का विश्वास गहरा होता है, तो चुनावी समीकरण और गणित गौण हो जाते हैं। यह एनडीए और बिहार की जनता के बीच एक नए युग की शुरुआत है, जिसकी नींव 'विकास और विश्वास' पर टिकी है।

लेखक मध्य प्रदेश बाल कल्याण आयोग के पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय के निवृतमान मंत्री और अनेक राजनीतिक सामाजिक ग्रंथों के सृजन कर्ता हैं।
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