"पूरा देश और देश की वो सेना, और देश के सैनिक, उनके श्री चरणों में पूरा देश नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है उसकी जितनी सराहना की जाए जितना कहा जाए, उनके लिए जोरदार तालियां"
उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के इस बयान को लेकर राजनीति का पारा हाई लेवल पर है। हाल ही में कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने जो गलती की, उसी की लहर में कांग्रेस उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को भी बहा ले जाना चाहती है। जबकि जगदीश देवड़ा ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं, जिस पर इतनी हाय तौबा मचनी चाहिए। दरअसल यह मामला जगदीश देवड़ा की कमजोर वाक् शैली और उनकी त्रुटि युक्त अभिव्यक्ति का परिणाम है। जिस बयान पर कांग्रेसी खेमे में चिल्ल-पों मची है, उसे गौर से सुना जाए तो सहज ही समझ में आ जाता है कि जगदीश देवड़ा बोलते समय अपने वाक्यों को ठीक जगह पर विराम नहीं देते, ठीक जगह पर खत्म नहीं करते और ना ही ठीक समय पर तोड़ते हैं। फल स्वरुप कई बार उनके भाव कुछ और होते हैं किंतु प्रस्तुतिकरण कुछ और हो जाता है। इस बयान में भी ठीक वैसा ही है। वह पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद ज्ञापित कर रहे थे और फिर सेना का आभार व्यक्त करने की बात पर आ गए। बस इसी अव्यवस्थित अभिव्यक्ति ने कांग्रेस को हो हल्ला मचाने का एक अवसर दे दिया। सो वह उक्त बयान को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ कर जनता में भ्रम फैलाने का जी तोड़ प्रयास करने में जुट गई है।
एक बार फिर उनके द्वारा कहे गए शब्दों पर गौर करते हैं। इसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि जगदीश देवड़ा का वह भाव था ही नहीं जो कांग्रेस प्रस्तुत कर रही है।
"पूरा देश और देश की वो सेना और देश के सैनिक, उनके श्री चरणों में पूरा देश नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है उसकी जितनी सराहना की जाए जितना कहा जाए, उनके लिए जोरदार तालियां"
इस छोटे से बयान में जगदीश देवड़ा का कोई भी वाक्य व्यवस्थित तरीके से पूर्णता को प्राप्त नहीं होता। फल स्वरुप बेहद आसानी से हर बात के अर्थ का अनर्थ किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए किसी समाचार पत्र या फिर किसी न्यूज़ चैनल में में खबर चले कि "पुलिस थाने में बलात्कार" का मामला दर्ज। यहां समाचार पत्र अथवा न्यूज़ चैनल का आशय "पुलिस थाने में बलात्कार" का तो कतई नहीं है। किंतु हां, इसे यूं भी कहा जा सकता था कि "बलात्कार का मामला" पुलिस थाने में दर्ज।
बस इसी प्रकार की छोटी सी भूल चूक के अलावा उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के बयान में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे आधार बनाकर उन पर आरोप चस्पा किया जाए कि उन्होंने सेना का अपमान किया है। यही वजह है की जगदीश देवड़ा अभी भी अपने बयान पर अडिग हैं और बार-बार एक ही बात कह रहे हैं कि मेरी शाब्दिक अभिव्यक्ति को अपने मन माफिक तोड़ मरोड़ कर उसकी पवित्र भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का अपराधिक कृत्य किया जा रहा है। मैं ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटूंगा।
जहां तक कैबिनेट मंत्री विजय शाह की बात है तो उन्होंने सेना की एक जांबाज़ महिला अफसर को सांप्रदायिक चश्मे से देखकर वाकई में नैतिक अपराध कर दिया है। उनके खिलाफ अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है और मध्य प्रदेश सरकार भी न्यायालयीन विवेक की रोशनी में एक के बाद एक कानूनी कदम बढ़ा रही है। वहां तक तो कांग्रेस का विरोध समझ में भी आता है। लेकिन बहती गंगा में हाथ धो लेने की प्रवृत्ति के चलते उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को भी लपेट लेने की सियासी चाहत ने कांग्रेस के हाथों गलती तो करा दी है। अब आगे मामला किस करवट बैठेगा? सरकार क्या कार्रवाई करेगी? क्या अदालत का फैसला होगा? यह सब भविष्य पर छोड़ देना ही उचित है।
प्रस्तुति मोहनलाल मोदी
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