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दोबारा होगी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा, अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा को शंकराचार्य ने बताया राजनीतिक इवेंट

राम मंदिर प्रतिष्ठा पर विवाद: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान


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शब्‍दघोष, नई दिल्‍ली। जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बीते बुधवार को अलवर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जनवरी में की गई प्रतिष्ठा एक राजनीतिक आयोजन था और धर्म शास्त्रों के अनुसार अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए। इसीलिए अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा दोबारा की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अभी मंदिर का केवल 30 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ है और अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा शास्त्रों के खिलाफ है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि "किसी भी शास्त्र में यह नहीं लिखा है कि मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है।" अभी मंदिर का केवल 30 प्रतिशत निर्माण कार्य ही पूरा हुआ है और शास्त्रों के अनुसार अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि "राम मंदिर एक धार्मिक मामला है और इसे राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।" 

हिंदुत्व पर टिप्पणी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व के चेहरे पर सवाल पूछे जाने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि "सच्चा हिंदू वही है जो राजनीति से पहले हिंदू धर्म की बात करे। राजनीतिक हिंदुत्व की बात कोई भी कर सकता है, लेकिन सच्चा हिंदू वही है जो राजनीति से पहले हिंदू धर्म की प्राथमिकता दे।" उनके इस बयान को कुछ लोगों ने भाजपा पर निशाना साधने के रूप में देखा। राम मंदिर मामले पर उनके विरोध के कारण उन्हें गालियाँ भी सुननी पड़ीं, लेकिन अंत में लोग उनके साथ आए। 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने राम मंदिर का कोई मामला अदालत में नहीं लड़ा।

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद गौ रक्षा संकल्प यात्रा के तहत अलवर आए थे। उन्होंने कहा कि जिसने गौ हत्या रोकने की शपथ ली है, उसे वोट दीजिए। उन्होंने बताया कि गौ रक्षा संकल्प यात्रा के माध्यम से गायों को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। राजस्थान के 50 जिलों में इस यात्रा का आयोजन होगा, जिसकी शुरुआत अलवर से की जा रही है। इससे पहले, पंजाब के 23 जिलों में ऐसे सम्मेलन आयोजित किए गए थे। स्वामी जी ने हर हिंदू का दायित्व बताया कि वह गाय की रक्षा करे।




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