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bemetara blast में उच्च स्तरीय जांच की दरकार

मोहनलाल मोदी। छत्तीसगढ़ के बरेला ब्लाक अंतर्गत बोरसी गांव में हुआ ब्लास्ट चर्चाओं में है। स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड नामक फैक्ट्री में ब्लास्ट होने और फिर आधिकारिक रूप से न्यूनतम मौत की पुष्टि करने का दावा गले नहीं उतर रहा है। इसके ढेर सारे कारण हैं। सबसे बड़ी शक शुबहा वाली बात यह है कि घटना के समय से लेकर तीन-चार घंटे बीत जाने तक ब्लास्ट में 10 से 12 लोगों की मौत हो जाने का दावा किया जा रहा था। भले ही यह दावे प्रशासनिक स्तर पर न किए गए हों, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों और आसपास के ग्रामीण की ओर से यह आशंका पुरजोर तरीके से व्यक्त की जा रही थी कि लगभग एक दर्जन लोग मारे जा चुके हैं और इतने ही मलबे में दबे हुए हैं। आशंकाओं की पुष्टि इस बात से भी होती है की फैक्ट्री में लगभग 800 लोग काम करते हैं और एक शिफ्ट में लगभग 100 लोग भीतर बने रहते हैं। आसपास के ग्रामीणों का दावा है कि जब विस्फोट हुआ उस समय भी फैक्ट्री में एक शिफ्ट भीतर बनी हुई थी। विस्फोट भी ऐसा वैसा नहीं, क्षेत्रीय वशिंदों के अनुसार उसकी आवाज 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तेज धमाके के साथ सुनी गई। सैकड़ो फुट ऊंची विद्युत लाइन इससे ध्वस्त हो गई। यही नहीं पूरी चार मंजिल की फैक्ट्री ताश के पत्तों की तरह तेज धमाके के साथ ढह गई और ब्लास्ट वाली जगह पर काम से कम 15 फुट गहरा गड्ढा हो गया। मांस के लोथड़े मलबे में बिखरे हुए थे। कई जगहों पर मृतकों के क्षत विक्षत अंग भी पड़े देखे गए। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और अधिक रहस्यमयी वातावरण निर्मित करती हैं। वह ये कि ब्लास्ट के तीन चार घंटे बाद तक प्रशासनिक और बचाव अमला फैक्ट्री में नहीं पहुंचा। यही नहीं, मृतकों और घायलों के आंकड़े बेहद एहतियात के साथ काफी देर तक छुपाए जाते रहे। फल स्वरुप आधा दिन बीत जाने तक यह पुष्टि हो ही नहीं पाई कि इस दुर्घटना में कितने लोग मारे गए और कितने हताहत हुए। यह घटना बेहद खतरनाक थी, इसे यूं समझ जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण शाव ने इसे "हृदय विदारक" घटना करार दिया। यहां तक की बरेला ब्लॉक की एसडीएम सुश्री पिंकी मनहर ने दुर्घटना वाले दिन ही आठ मौतें होने की पुष्टि कर दी थी। उनका यह बयान मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र की वेबसाइट पर अभी भी पढ़ा जा सकता है। यह भी विचारणीय है कि रात 9:00 बजे तक फैक्ट्री के मलबे में कम से कम 10 लोगों के दबे होने की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। अब जब सभी समाचार पत्रों में खबरें यही छप रही हैं कि चिंता की कोई बात नहीं है, तो फिर चिंतित होना स्वाभाविक है। मामले की उच्च स्तरीय जांच अपेक्षित है। साथ में यह पक्ष भी जांच के योग्य है कि 2022 में इस एक्सप्लोसिव फैक्ट्री को अपर्याप्त सुरक्षा प्रबंधों के चलते बंद कर दिया गया था। लेकिन कुछ माह बाद ही इसे रहस्यमय तरीके से चालू कर दिया गया। जबकि सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा प्रबंधन में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं देखा गया। अब क्योंकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की जा चुकी है, तो फिर उम्मीद की जानी चाहिए आम जनता को सच्चाई जानने का मौका अवश्य मिलेगा।
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