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राजनीतिक परंपरा बदली सीएम हाउस में रोजा इफ्तार का सिलसिला नहीं होगा जारी

 मुस्लिम समुदाय के साथ सरकारी संबंधों में बदलाव

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शब्‍दघोष, भोपाल: मध्य प्रदेश में चली आने वाली चुनावी राजनीति के संदर्भ में यहाँ रोजा इफ्तार पार्टी की परंपरा महत्वपूर्ण होती आ रही थी, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के संदर्भ में और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण यह सिलसिला नहीं होगा। सरकारी स्तर पर इस आयोजन को नहीं जारी रखने का फैसला किया गया है।पिछले कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश की राजनीतिक मान्यताओं में सीएम हाउस में रोजा इफ्तार पार्टी की परंपरा शामिल रही है। यहां राजनेताओं से लेकर समाज सेवकों, धार्मिक गुरुओं और उम्मीदवारों तक के लोग शामिल होते थे। इस परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आयोजन को विस्तार दिया था, जिसमें वे प्रदेश भर के उलेमाओं को शामिल करने का प्रयास किया था। इसके बाद भी रोजा इफ्तार पार्टी की परंपरा जारी रही।

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लेकिन इस बार कोरोना महामारी के संदर्भ में और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण सरकारों ने इस आयोजन से दूरी बनाई है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर कमलनाथ के मुख्य मंत्रित्व में सरकार बनाई। इसके बाद पहला रमजान वर्ष 2019 में आया। सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ चुके कमलनाथ ने इस आयोजन से दूरी बना ली। बरसों की सीएम हाउस रोजा इफ्तार दावत का सिलसिला थमा तो फिर थमा ही रह गया।इस रमजान प्रदेश सरकार की बागडोर डॉ मोहन यादव के हाथों है। उज्जैन की जिस विधानसभा से वे ताल्लुक रखते हैं, उसमें मुस्लिम समुदाय की बहुलता है। साथ ही उनके राजनीतिक सफर में भी मुस्लिम साथियों को बड़ी तादाद बताई जाती है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि चार साल से रुका हुआ सीएम हाउस इफ्तार दावत का सिलसिला इस बार पुन: गति पकड़ेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता ने इस आयोजन के पैरों में बेडिय़ां डाल दी हैं। सीएम हाउस में रोजा इफ्तार पार्टी की यह परंपरा पिछले कुछ वर्षों से रोकी गई है, जिसमें राजनीतिक समाज में खासा आकर्षण था। इसके बाद भी लोगों में इस आयोजन की आकांक्षा बनी रही है, लेकिन सरकारी नीतियों के तहत यह आयोजन अब नहीं होगा।


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