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नई सरकार को लेकर आश्वस्त नहीं भूपेश बघेल

रायपुर। अभी आए एग्जिट पोल के आने से छत्तीसगढ़ भाजपा में खुशी की लहर दौड़ गई है। ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने कांग्रेस को लगभग 50 सीटें दी हैं, जो कि बहुमत का आंकड़ा से ऊपर हैं पर ट्विस्ट यह है कि इनमें 10 विधायक और भूपेश बघेल, ईडी की गिरफ्तारी के बेहद नजदीक हैं। ऐसे में अंत में सरकार छत्तीसगढ़ में भाजपा की ही बनेगी। छत्तीसगढ़ में जब ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की नूरा कुश्ती चल रही थी, तब कोयला वाले सूर्यकांत तिवारी ने अधिकांश विधायकों की खूब मौज मस्ती करवाई थी। बदले में सूर्यकांत ने इन सभी का मस्ती करते हुए वीडियो शूट करवा लिया था और इनसे विधायकों को ब्लैकमेल भी किया गया था, अब यह सारी सीडी भी ईडी के हाथ में पड़ गई हैं। जैसा कि मैंने पहले लिखा था कि जेल में बैठकर बहुमत साबित नहीं कर सकते हैं। बहुमत परीक्षण विधानसभा में होता है। इसी कारण होर्स ट्रेडिंग के डर से भूपेश बघेल ने बैंगलूरू में जीतने वाले विधायकों के ठहरने की व्यवस्था की है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने करीबियों के साथ मिलकर अलग तरह की तैयारियां कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भूपेश बघेल ने चुनाव परिणाम सामने आने के बाद जीते हुए प्रत्याशियों को इक्ठ्ठा कर उन्हें विशेष विमान से दूर शहर से बाहर बेंगलुरू भेजने की योजना बनाई है। 
चुनाव परिणाम के पहले जिस तरह से बघेल और उनसे जुड़े लोगों में डर का भाव देखने को मिल रहा है। निश्चित ही वह इस बात की ओर इशारा करता है कि राज्य की जनता ने भूपेश बघेल और उनकी भ्रष्टाचार सरकार को इस बार चलता कर दिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव परिणाम से एक दिन पहले पत्र लिखा। भूपेश बघेल ने ऑनलाईन बेटिंग एप के अवैध कारोबार, यूआरएल, इंस्‍ट्राग्राम, टेलीग्राम आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।  विश्लेषकों की मानें तो भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी के ऊपर डर का साया मंडरा रहा है। वह इस बात की ओर संकेत देता है कि बघेल यह बात अच्छे से जानते हैं कि उनकी पार्टी शायद पूर्ण बहुमत के बाद भी सरकार ना बना पाए। ऐसे में अगर भाजपा नेताओं ने जोड़-तोड़ की राजनीति की तो उन्हें सत्ता से बाहर का रूख करना पड़ सकता है। यही कारण है कि बघेल चुनाव परिणाम आते ही सभी नेताओं को विशेष विमान से बाहर फाइव स्टार होटल में ठहराने की व्यवस्था कर रहे हैं। जैसे एग्जिट पोल आ रहे हैं और छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है उससे यह भी हो सकता है कि कांग्रेस की आपसी खींचतान और मनमुटाव में विधानसभा अध्‍यक्ष चरणदास महंत मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं। वैसे भी उनकी छवि एक बेदाग नेता की है। विश्लेषकों की मानें तो छत्तीसगढ़ में कुल 90 सीटों में बहुमत के लिए 46 का आंकड़ा चाहिए होता है। ऐसे में भूपेश के कारण करीब-करीब 10-15 दूसरे पक्ष में कुलांदी मारने को तैयार है, चाहे अभी या कुछ समय बाद। 
दरअसल भूपेश ने अपनी पिछली 05 साल की सरकार अपने और अपनी चौकड़ी से चलवाई है। विधायक, मंत्री की ना तो प्रशासन में सुनी जाती, ना इनके काम होते थे। ऐसे में उन्होंने वो दमनकारी सरकार का भयंकर रुप देख चुके हैं। साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों के रडार में खा-म-खा आ गए हैं। ऐसे में यह सभी भूपेश बघेल से छुटकारा पाना चाहते है। अन्‍य प्रदेशों की तरह छत्‍तीसगढ़ के भी एग्जिट पोल सामने आ गए हैं। वैसे तो एग्जिट पोल में प्रदेश में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही हैं लेकिन बहुमत का आंकड़ा बेहद करीब जा रहा है। 
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है और भूपेश बघेल को सीएम बनाया जाता है तो छत्‍तीसगढ़ में भी महाराष्‍ट्र जैसी स्थिति बन सकती है। जहां शिवसेना के एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने मुख्‍यमंत्री बनवा दिया। प्रदेश में कांग्रेस के ही कददावर नेता टीएस सिंहदेव बाबा बगावत पर उतर सकते हैं।
 सूत्रों के अनुसार ऐसी ऐसी स्थिति में टीएस बाबा अपने समर्थित विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं और मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं। वहीं बीजेपी भी ऐसा करने से गुरेज नहीं करेगी। हालांकि अभी तक यह केवल कयास भर हैं। क्‍योंकि अभी चुनाव परिणाम नहीं आये हैं। एग्जिट पोल के आधार पर यह समीकरण का आंकलन भर है। छत्‍तीसगढ़ में यदि बीजेपी बहुमत में आती है तो मुख्‍यमंत्री कौन होगा। यह तस्‍वीर अभी तक साफ नहीं हुई है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह, बीजेपी अध्‍यक्ष अरूण साव और विजय बघेल बीजेपी हाईकमान की पहली पसंद होंगे। इन तीनों में से ही किसी एक को मुख्‍यमंत्री बनाया जा सकता है। वहीं आदिवासी नेता केदार कश्‍यप को उपमुख्‍यमंत्री बनाया जा सकता है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री अपनी सत्ता जाते देख अब बौखला से रहे हैं। 
 सरकार किसी भी पार्टी की बने भूपेश बघेल उनकी चांडाल चौकड़ी और उनके पुत्र जेल जाने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक इसी बौखलाहट में कार्यवाहक ने प्रदेश के सभी कलेक्टर-एसपी को फरमान जारी किया है कि प्रमाण पत्र मिलते ही विधायकों को कार में बिठाकर रायपुर लाया जाए। कोई भी विजय जुलूस नहीं निकलेगा। एग्जिट पोल ने इनके 75 पार, 60 पार की हवा निकाल दी है और वास्तव में प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी जेल में बंद अपने साथियों की दुर्दशा के बाद भूपेश से किनारा करना ही चाहती है। वैसे सूत्रों के मुताबिक जेल में सुपर सीएम और रानू साहू के बीच हाथापाई भी हुई थी। अब यह प्रदेश के आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को तय करना है कि वो रेड कार्पेट में रहे या जेल में किसी गुंडे-बदमाश की तरह जीवन व्यतीत करें।
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में हाहाकार मचाने वाली सुपर सीएम फिर से एक्टिव हो गईं हैं। जेल से इनके लिए सभी प्रबंध किए जा रहे हैं। जेल से ही प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया और पुलिस मुखिया को निर्देश दिए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक डेप्युटी कलेक्टर सूरज कश्यप की जानकारी ईडी को मिल चुकी है एवं यह व्यक्ति सबके बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
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