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शांति और स्थायित्व का टापू मध्य प्रदेश : डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा

डॉ राघवेंद्र शर्मा
1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश राज्य अब जब 67 साल का हो गया है, तब इसने अनेक अनुकूलताएं और प्रतिकूलताएं अपने इर्द-गिर्द देखी हैं। इसके बावजूद बेहद संतोषजनक बात यह है कि हमारा वर्तमान मध्य प्रदेश बेहद समृद्ध, संपन्न, खुशहाल और इससे भी बढ़कर शांति का टापू बना हुआ है। यह सब इसलिए सार्थक हुआ जान पड़ता है, क्योंकि राजनीतिक इच्छा शक्ति की दृष्टि से मध्य प्रदेश स्थायित्व का अनूठा उदाहरण बन चुका है। वर्तमान में हमने क्या उपलब्धियां हासिल कीं, इन्हें तब तक महसूस नहीं किया जा सकता जब तक कि हम अपने अतीत में झांक कर ना देख लें। विंध्य प्रदेश मध्य भारत और भोपाल राज्य को मिलाकर बनाए गए मध्य प्रदेश में उसके प्रादुर्भाव काल से ही काफी विसंगतियां बनी रहीं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव था और विकास की संभावनाओं को तलाशना भी दुष्कर कार्य बना हुआ था। बिजली उत्पादन अपर्याप्त था। सड़कें केवल राजधानी और बड़े शहरों की तकदीर हुआ करती थीं। आवा गमन के साधन नगण्य थे। स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी ताना-बाना भी शुरुआती दौर में ही था। कुल मिलाकर तब मध्य प्रदेश को आगे बढ़ाने और विकास के पथ पर ले जाने हेतु एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव स्पष्ट नजर आता था। शायद यही वजह रही कि हमारा प्रदेश कभी निम्न तो कभी मध्यम गति से विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहा। लंबे अंतराल के बाद समय ने पलटा खाया। फल स्वरुप सरकार की दशा और दिशा तय करने वाली सोच बदली तो फिर विकास के मायने भी बदले। प्रदेश की दशा एवं दिशा दोनों ही नए स्वरूप को प्राप्त होते चले गए। 21वीं सदी लागू होने के केवल दो-तीन साल बीतने के बाद तो मानो मध्य प्रदेश को विकास के नए पंख ही लग गए।  यहां मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ और अधिक सकारात्मक, सुलभ संसाधनों की खोज रफ्तार पकड़ने लगी। खेत खलिहानों की तरह गड्ढों से भरी रहने वाली सड़कें चिकनी और सपाट होकर वाहनों को रफ्तार देने में जुट गईं। दिन हो या रात, अधिकतम मानवीय समाज से नदारद बनी रहने वाली बिजली के उत्पादन में ऐसे ऐसे कीर्तिमान रचे कि अब इस मूलभूत सुविधा से केवल उजाला नहीं होता। औद्योगिक अनवरत चल रहे हैं। विद्युत आपूर्ति की निरंतरता के चलते पर्याप्त सिंचाई से खेत लहलहाते हैं। और तो और अब छोटे बड़े वाहन भी बिजली से चार्ज होकर सुगम और सुविधाजनक हो चुकीं सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं। कभी रोडवेज की बसों को बंद करने की मजबूरी प्रदर्शित करने वाला मध्य प्रदेश अब अत्याधुनिक, इको फ्रेंडली बसों की नई-नई खेपों से आवागमन को सहज बनाते हुए यात्रियों को सुकून प्रदान कर रहा है। और तो और, राजधानी सहित प्रांत के अधिकांश महानगरों में मेट्रो ट्रेन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं यात्रियों को शहरी यातायात में सुगमता प्रदान करने हेतु पटरियों पर आनी शुरू हो गई हैं। शासन और किसानों की कदमताल इतनी संतुलित है कि हमारा प्रदेश लगातार कृषि कर्मण्य अवार्ड हासिल करता चला जा रहा है। कभी नौकरी के इर्द-गिर्द आशा भरी हसरत लिए चक्कर काटने को मजबूर युवा अब सीखो और कमाओ का मंत्र सार्थक करते हुए दूसरों को नौकरी देने योग्य उद्यमी बन चला है। कन्याएं अब जन्म से ही लखपति हैं। माता बहनों की आर्थिक तंगी कम हुई, तो नई उम्मीद ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया है। लड़के हों अथवा लड़कियां, खेल के मैदानों में आसमान छूने की होड़ परवान चढ़ रही है। अध्यात्म और पर्यटन के क्षेत्र में जो नवाचार हाल ही में शुरू हुए, उन्होंने भारतीय संस्कृति की सनातन कालीन धरोहरों को पुनर्जीवित कर दिया है। फल स्वरुप प्रदेश का सौंदर्य निखर उठा है तथा उक्त शहरों के निवासियों को रोजगार के नए-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। यदि सार गर्भित शब्दों में कहा जाए तो हमारा मध्य प्रदेश राजनीतिक दृष्टि से मजबूत स्थायित्व को प्राप्त है। बेहद चाक चौबंद प्रशासनिक व्यवस्थाओं ने कानून व्यवस्था इतनी कसावट पूर्ण बना रखी है कि मेरा मध्य प्रदेश शांति का टापू बना हुआ है। आप सबको मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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