Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Ticker

6/recent/ticker-posts

संघ विराट, उसकी सोच भी व्यापक : डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा

डॉ राघवेंद्र शर्मा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितना बड़ा हिंदू संगठन है, उसकी सोच भी उतनी ही व्यापक है। अपनी इसी सोच के चलते यह संगठन उन सभी कार्यों को हाथ में लेने से नहीं हिचकता जिनसे सामाजिक और राष्ट्रीय हित सिद्ध होने हों। फिर भले ही सामना विवादों से हो या फिर परेशानियों से। उदाहरण के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री बी आर गवई की माताजी श्रीमती कमला ताई को एक बेहद महत्वपूर्ण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फिर चर्चाओं में है। बुद्धिजीवी लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि जो बीआर गवई बतौर मुख्य न्यायाधीश विष्णु भगवान की प्रतिमा को लेकर व्यंग्यात्मक टिप्पणी का इस्तेमाल कर चुके हैं, जिनके परिवार धारदार अंबेडकरवादी हैं, उनकी मां को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आमंत्रित कैसे कर सकता है ? यही वह सवाल है जो इस आवश्यकता को प्रतिपादित करता है कि खासकर वैचारिक तंगी के शिकार लोगों और संगठनों को संघ के बारे में व्यापक अध्ययन करना चाहिए। यह अध्ययन केवल साहित्यिक तौर पर किया जाना भी पर्याप्त नहीं रहेगा। बल्कि प्रत्यक्ष रूप से इसके बीच जाकर इसकी कार्य प्रणाली को देखकर और वैचारिक धरातल को जानकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित रहेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं भी अपनी पारदर्शिता पूर्ण कार्य पद्धति के लिए विख्यात है। यह बात और है कि हिंदुओं का यह विश्व स्तरीय सबसे बड़ा संगठन प्रचार प्रसार से ज्यादा कृतित्व में भरोसा रखता है। इसके प्रचारकों की कार्य प्रणाली पर भी गौर करेंगे तो वह भी मीडिया में बयान बाजी को लेकर उदासीन भाव ही रखते आए हैं। लेकिन जब राष्ट्रसेवा की बात हो तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता देखने योग्य होती है। भारत पाक युद्ध के दौरान ध्वस्त एयर बेस को एक रात में तैयार करना हो, भीषण प्राकृतिक आपदाओं में बचाव राहत कार्य करना हो, युद्धक परिस्थितियों के दौरान देश की राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती हो, ऐसी अनेक विपदाओं के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता किसी योद्धा की तरह स्वयं को सेवा एवं राहत कार्यों में झोंक देते हैं। संघ की यही कार्य प्रणाली इसके धुर विरोधियों को भी अपनी ओर आकर्षित करती रही है। हमारे पासआओ, हमारे बारे में सब कुछ जानो, फिर हमारे बारे में सकारात्मक या नकारात्मक धारणा बनाओ, इस मंशा को लेकर संघ समय-समय पर ऐसे गणमान्यों को भी अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित करता रहा है, जिन्हें संघ विरोधी विचारधारा के पोषक अथवा अनुसरण कर्ताओं के रूप में ख्याति मिली हुई रहती है। ऐसी हस्तियों में भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम जैसे धुरंधर कांग्रेस नेताओं के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं। इनके अलावा वह विभूतियां भी संघ के व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक समारोहों में शामिल होती रही हैं, जो क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञ रखती आई हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, इसरो के सेवानिवृत प्रमुख के आर कृष्णा, बॉलीवुड के प्रख्यात गायक एवं संगीतकार शंकर महादेवन, पर्वतारोही सुश्री संतोष यादव, नेपाल के पूर्व सेना प्रमुख जनरल आर कटवाल, असम के पूर्व मुख्य सचिव जेपी राजखोवा और प्रसिद्ध उद्योगपति डॉक्टर गंगा राजू आदि के नाम प्रमुख हैं। इनके अलावा बहुत बड़ा नाम महात्मा गांधी का भी है, जो संघ के राष्ट्र समर्पित कार्यों की यश कीर्ति से प्रभावित होकर खुद एक प्रशिक्षण वर्ग में पहुंच गए थे। वर्ष 1934 में उक्त प्रशिक्षण वर्ग महाराष्ट्र के वर्धा जिले में आयोजित हुआ था। इसमें गांधी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े से बड़े दायित्ववान पदाधिकारी को भी साधारण स्वयं सेवकों के साथ बैठकर बगैर भेदभाव के भोजन करते देखा तो वह काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा था कि मैं प्रत्यक्ष देख रहा हूं ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अस्पृश्यता मिटाने के क्षेत्र में भी सराहनीय पहल कर रहा है। यह देखकर मुझे संतुष्टि हो रही है। जहां तक कांग्रेस जनों और वामपंथी बंधुओं की बात है, तो वह भले ही राजनीतिक लाभ हानि के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आलोचना करने को बाध्य हों, लेकिन उन्हें यह अवश्य जानना चाहिए कि जिन गांधी जी की हत्या का आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिर पर मढ़ा जाता है, उनके निधन पश्चात भी संघ की पथ संचालन टुकड़ी और उसका घोष स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में परेड का हिस्सा बन चुका है। तब लाल किले की प्राचीर पर बतौर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू मौजूद रहे। फिर भी इसे केवल इसलिए बदनाम किया जाता रहा, क्योंकि यह उन हिंदुओं के हितों की रक्षा करता रहा जिन्हें तुष्टिकरण की निकृष्टतम राजनीति के चलते उपेक्षित ही कर दिया गया था। उस पर तुर्रा यह कि संघ को मुस्लिम विरोधी बताकर देश के सामंजस्य पूर्ण और सद्भावनापूर्ण वातावरण को केवल राजनीतिक लाभ के लिए खंडित किया जाता रहा है। फिर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निरंतर आगे बढ़ता रहा तो इसलिए, क्योंकि देश के नागरिक गौर से देखते रहे कि इसके स्वयंसेवकों को सत्ता का भय दिखलाया जाता रहा, शाखाओं पर प्रतिबंध लगाए गए। यहां तक कि स्वयंसेवकों पर हर तरह के अत्याचार ढाए गए। फिर भी उनका मनोबल नहीं टूटा। वह आपातकाल के भयावह कालखंड में भी लोकतंत्र की अलख जगाना नहीं भूले। इसी का नतीजा है, आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगभग 100,000 शाखाओं को स्वयं में समाहित कर चुका है। अब जब वह अपने स्थापत्य के 100 साल पूरे कर रहा है, तब उसने सीजेआई श्री गवई की माता जी श्रीमती कमला ताई को अमरावती में 5 अक्टूबर को संपन्न होने जा रहे एक बड़े समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। खास बात यह है कि उन्होंने भी कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति प्रदान कर दी है। तो फिर वापस इस सवाल पर लौटते हैं कि संघ ने इतने महत्वपूर्ण समारोह में मुख्य आतिथ्य के लिए कमला ताई को ही आमंत्रित क्यों किया? तो जवाब यह कि वे केवल भारतीय मुख्य न्यायाधीश की माता ही नहीं, वरन एक प्रतिष्ठित समाजसेविका हैं। उनके स्वर्गीय पति श्री आर एस गवई राज्यपाल होने के साथ-साथ एक महान अंबेडकरवादी नेता भी थे। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में गवई परिवार का बेहद सम्मानजनक स्थान है। कमला ताई के एक और पुत्र राजेंद्र गवई बौद्ध समाज में गहरे तक पहुंच रखते हैं तथा समाज सुधार के क्षेत्र में कार्यरत अनेक संस्थाओं के दायित्ववान पदाधिकारी भी हैं। तो बात साफ है, समाज सुधारकों का एक बहुत बड़ा वर्ग कमला ताई और उनके परिवार का अनुसरण करता है संभव है। संभव है, ऐसे में संघ सोचता हो कि ऐसी प्रतिष्ठित कमला ताई संघ को नजदीक से देखें और उसकी कार्य पद्धतियों का एकाग्रता के साथ अवलोकन करें। फिर अंतर्मन से महसूस करें कि संघ क्या है। जैसे कि पुराने अनुभव हैं, इस प्रवास के बाद कमला ताई की संघ के प्रति सकारात्मकता और अधिक प्रगाढ़ ही होनी है। जिसका लाभ भविष्य में और व्यापक पैमाने पर और लोगों को भी मिलना संभव हो सकेगा। संघ इसी सोच के चलते विगत 100 सालों से वैचारिक सामानता अथवा विरोधी विचार रखने वाली विभूतियों को विभिन्न समारोहों में अपने यहां आमंत्रित करता रहा है। नतीजा सभी के सामने है। वैचारिक धरातल पर धुर विरोधी परिवेश में कार्यरत गणमान्य जन अब खुलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की और उसके कार्यों की प्रशंसा कर रहे हैं। निसंदेह इस प्रोत्साहन से संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक उत्साहित है और वह स्वयं को राष्ट्र हित में समर्पण करने हेतु और अधिक सामर्थ्यवान महसूस कर रहा है।
लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के कार्यालय मंत्री
 हैं 
Raghavendra Sharma #RSS #BJP #Mohanlal Modi #Shabdghosh #cji #Narendra Modi #rashtriy swayamsevak Sangh #Ambedkar #Nehru #Mahatma Gandhi #Hindu

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ