OMG ! मध्य प्रदेश में दिग्विजय शासन फिर से!
धमकी "घुस जा CM की ..... में"
गुना, शब्द घोष। लाइट आती कम जाती ज्यादा है। इनवर्टर के बगैर गुजर नहीं होती, लेकिन बैटरी रिचार्ज नहीं हो पा रही। 2 दिन से गेहूं पिसने पड़ा है, परंतु चक्की चालू होते ही बिजली चली जाती है सो घर में आटे की किल्लत है। टेलीविजन शोपीस बन कर रह गए हैं। किसान ब्रांड रिचार्जेबल टॉर्चों की बिक्री बढ़ गई है, इसलिए महंगी खरीदना पड़ रही है। जिसे देखो वही उपरोक्त रोना रोते हुए आप बीती सुनाता दिखाई देता था। रात को अंधकारमय गलियों में बच्चे नारे लगाते फिर रहे हैं "प्रदेश का नेता कैसा हो दिग्विजय सिंह जैसा हो"।
बर्ष 1993 से लेकर 2003 तक मध्य प्रदेश में दिग्विजय शासन स्थापित रहा। 1998 तक तो सब कुछ ठीक-ठाक रहा। इसलिए जनता ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की बागडोर दिग्विजय सिंह के हाथ में सौंप दी। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने जनता के सामने इतनी परेशानियां खड़ी कर दीं कि 2003 के अंत में मतदाताओं ने उनकी सरकार को जड़ से उखाड़ फेंका। उन अनगिनत परेशानियों में सबसे बड़ी परेशानी थी बिजली की घोषित अघोषित कटौती। उस दौरान उपरोक्त परिस्थितियों आम थीं, जिनका जिक्र लेख के प्रारंभ में किया गया है। लोग बिजली की अनुपलब्धता से परेशान होकर झुंड बना बनाकर आधी रात तक मोहल्लों गलियों में बैठे रहते थे। बाजार दिया बत्ती के समय से पहले ही बंद होने लगते थे। यह पहचान थी मध्य प्रदेश में दिग्विजय शासन की।
सवाल यह उठता है कि यह दिग्विजय शासन की बात अचानक कहां से आ गई? तो जवाब यह है कि मध्य प्रदेश का विद्युत मंडल और विद्युत वितरण कंपनियां लगभग उसी अंदाज में विद्युत उपभोक्ताओं को प्रताड़ित करने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़ी बस्तियों की तो बात ही क्या करें, गुना जिला मुख्यालय पर ही विद्युत संकट को लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगे हैं। इसी गुना जिला मुख्यालय पर कैंट क्षेत्र स्थित है। विद्युत आपूर्ति की दृष्टि से केंट क्षेत्र के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार सदैव बना रहा है। इससे भी ज्यादा बुरी हालत कैंट क्षेत्र के पटेल नगर की है। पटेल नगर रोड पर पढ़ने वाली "जाट गली" में तो कोड़ में खाज जैसे हालात हैं। विद्युत वितरण कंपनी के उपेक्षा पूर्ण व्यवहार के चलते यहां 12 महीने लाइट कटौती बनी रहती है। महीने के अधिकांश दिनों में जाट गली में बिजली गुल ही रहती है। दिन हो या रात, जब जी चाहे तब इस क्षेत्र की लाइट काट दी जाती है। कंप्लेंट करने पर एसएमएस मिलता है कि मेंटेनेंस चल रहा है, सुधार कार्य जारी है, फाल्ट ठीक होने तक प्रतीक्षा करें। जो उपभोक्ता लाइट जाने की ज्यादा शिकायत करे, विद्युत कर्मचारियों द्वारा ऐसे लोगों के बारे में खीझ भरी टिप्पणी की जाती है, सबसे ज्यादा परेशानी तुम मुट्ठी भर लोगों को ही क्यों होती है?
इसी जाट गली में रहने वाले एक व्यक्ति आकाश मोदी ने तंग आकर सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर दी। उम्मीद थी कि 181 पर गुहार लगाने से विद्युत व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन हुआ उल्टा। लैंडलाइन क्रमांक 0755 2551222 से एक धमकी भरा कॉल आ गया। शिकायतकर्ता को 181 से कंप्लेंट वापस लेने के लिए धमकाया गया। हाथ पैर तोड़ने की धमकी दी गई। यहां तक कहां गया "घुस जा सीएम की ..... में" तेरा कनेक्शन और काट देंगे, फिर करते फिरना कंप्लेंट।
बिल्कुल ऐसे ही हालात थे दिग्विजय शासन में, विद्युत कटौती की रिपोर्ट करना ठीक वैसा था जैसे कोई दीवार से अपना सिर मार ले। आज जब केंद्र क्षेत्र के पटेल नगर रोड और उसमें स्थित जाट गली में यह सब दोबारा देखने को मिल रहा है, तब ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रदेश में फिर से दिग्विजय शासन आ गया है। अभी उमस भरी गर्मियों में भी 24 घंटे में से 12 और 16 घंटे तक लाइट गायब हो रही है। लोगों में आक्रोश उपज रहा है, लेकिन विद्युत वितरण कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को शायद किसी "बड़े बवाल" का इंतजार है।
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