
गुना, शब्दघोष। महानगरों की तर्ज पर गुना शहर में भी वाहनों को "टो" करने का रिवाज देखने को मिला। हाल ही में जब अक्षय तृतीया की भीड़ बाजारों में उमड़ रही थी तब हालात कुछ ऐसे दिखे मानो कोई नागरिक दुपहिया या चार पहिया वाहन से बाजार में शॉपिंग करने जाए, वाहन पार्क करे और लौट कर आए तो पता चले कि जहां पार्क किया था वहां तो वाहन है ही नहीं। आसपास पूछताछ करने पर पता चला कि यातायात पुलिस का वाहन टोइंग लोरी समेत आया था और उपरोक्त वाहन को लेकर चलता बना। व्यक्ति हैरान परेशान यातायात पुलिस थाने में पहुंचा। विभाग द्वारा वांछित जुर्माना अदा करता है और गनीमत मनाता हुआ घर को लौट आता है।
यातायात पुलिस द्वारा भारी वसूली

जाहिर है इससे यातायात पुलिस की अच्छी खासी राजस्व वसूली हो रही है। लेकिन उसकी इस कार्रवाई से गुना शहर का यातायात सुधर गया है, ऐसा दावा करना अधिकांशतः अतिशयोक्ति ही है। बजरंगगढ़ रोड, भुल्ललनपुरा तिराहा, श्री राम कॉलोनी रोड, जीन घर, रेलवे स्टेशन रोड, सदर बाजार नई सड़क, बताशा गली, शास्त्री पार्क के चौतरफा मार्ग, कोतवाली गली, अनुराधा गली, हनुमान गली, मुरली ढोकल गली, प्रकाश टॉकीज गली, उदासी आश्रम गली, रस्सी वाली गली, कोटेश्वर मंदिर गली, छोटी मस्जिद गली, नेहरू पार्क, केंट चौराहा, खेजरा रोड आदि ऐसे कई इलाके हैं जहां पर सड़कों की दोनों ओर दुकानदारों एवं रहवासियों द्वारा भारी पैमाने पर स्थाई अतिक्रमण किए गए हैं।
बाजारों में चौतरफा अतिक्रमण

बाजारू क्षेत्र की कोढ़ में खाज जैसी स्थिति तब बनती है, जब दुकानें खुलना शुरू होती हैं और उनका बिक्री योग्य सामान दुकानों के भीतर कम बाहर ज्यादा सजा दिया जाता है। उस पर तुर्रा यह कि दैनिक, साप्ताहिक और मासिक वसूली लेकर दुकानों के आगे ठेलों और बाजार बैठक के माध्यम से रोजगार कमाने वाले लोगों को सड़कों के दोनों ओर जमा दिया जाता है। फल स्वरुप जो सड़कें रात को 12:00 बजे से सुबह 7:00 तक ट्रक जैसा भारी वाहन गुजरने योग्य दिखाई देती हैं वह दिन के समय इतनी संकीर्ण और असुविधाजनक हो जाती हैं कि वहां से साइकिल लेकर निकलना तक दूभर हो जाता है। खासकर सदर बाजार और हाट रोड पर तो जाम जैसे हालात बने रहते हैं।
ट्रैफिक पुलिस खुद लगा रही जाम

दोनों जगह पर हालात तब और ज्यादा आसानी दिखाई दिए जब चींटी की तरह रेंगती यातायात पुलिस की लोरी टोइंग वाहन के साथ यहां से गुजरती देखने को मिली। एक अनुमान के अनुसार जय स्तंभ चौराहे से घुसकर सदर बाजार, रपटा और हाट रोड़ होते हुए हनुमान चौराहे तक पहुंचते-पहुंचते इन दोनों वाहनों को लगभग एक घंटा लगा। तब तक इन दोनों वाहनों की वजह से क्या आगे और क्या पीछे, भयंकर जाम के हालात बनते रहे। यह बात और है कि यातायात पुलिस के भय से कोई उसके सामने सच्चाई बयां करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। कारण साफ है, जो भी वाहन सफेद पट्टी से बाहर सड़क के दायरे में खड़ा होता है, उसे उठा लिया जाता है। जो लोग तर्क वितर्क करते हैं, उनके साथ अतिरिक्त सख्ती बरती जाती है। यहां तक कि उन्हें कोर्ट से वाहन छुड़ाने जैसे हालातो का सामना करने संबंधी डर दिखाया जाता है। ऐसे में तत् समय ही जुर्माना अदा करके येन-केन प्रकारेण वाहन छुड़ाने में ही समझदार लोग भलाई समझते हैं। इससे एक ओर यातायात पुलिस की राजस्व वसूली दिनों दिन नए कीर्तिमान स्थापित करती है, तो दूसरी ओर नागरिकों का आर्थिक शोषण चलता रहता है। वहीं अस्थाई तौर पर यातायात कभी सुगम तो कभी दुर्गम होता रहता है। कुल मिलाकर हालात जस के तस बने रहते हैं।
असल जड़ अतिक्रमण