बिलासपुर, शब्दघोष। आश्रित गांव करवा में महज चार घंटे में मलेरिया की वजह से दो सगे भाइयों की मौत हो गई। जैसे ही स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली, वैसे ही अधिकारी सकते में आ गए।कोटा के टेंगनमाड़ा के ग्राम करवा में मलेरिया से दो भाइयों की मौत के बाद जिला प्रशासन सकते में आ गया है। कोटा के ग्राम आमागोहन, कुरदर, टांटीधार सहित आसपास के गांव में मलेरिया फैल गया है। 16 से 18 जुलाई तक क्षेत्र में कुल 14 मलेरिया पाजिटिव मरीज मिल चुके हैं। वहीं गुररुवार को सात नए मरीज की पहचान स्वास्थ्य विभाग की सर्वे टीम ने की है। मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद है, लेकिन चिंता की बात यह है कि कोटा अंतर्गत 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं। ऐसे में मामले बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। इसस साफ है कि मलेरिया जैसे मामले को रोकने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम हो गया है। बीते बुधवार को कोटा के टेंगनमाड़ा के आश्रित गांव करवा में महज चार घंटे में मलेरिया की वजह से दो सगे भाई 14 वर्षीय इमरान और 15 वर्षीय इरफान पिता जब्बर अली की मौत हो गई। हालांकि आसपास के गांवों में दो दिन पहले से ही मलेरिया के मरीज मिल चुके थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। वहीं दो की मौत के बाद प्रशासन के दबाव के चलते स्वास्थ्य महकमा सक्रिय हुआ और गुरुवार की सुबह से ही जिला मलेरिया अधिकारी डा़ अनिल श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ प्रभावित गांव करवा पहुंचे।यहां मैदानी अमले ने सर्वे शुरू कर दिया है। इसके साथ ही दूसरी टीम को अन्य गांव में सर्वे के लिए भेजा गया है। टीम पूरे दिन भर सर्वे करती रही और शाम तक सात नए मलेरिया मरीजों की पहचान भी हो गई। सर्वे से यह तो साफ है कि कोटा क्षेत्र में मलेरिया फैल चुका है। चिंता की बात यह है कि कोटा के 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं, ऐसे में इन गांव में भी मलेरिया के मरीज मिल सकते हैं। यदि जल्द ही नियंत्रण कार्य तेज नहीं किया गया तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
मलेरिया की दृष्टिसे चिन्हित अतिसंवेदनशील गांव
कुरदर, उमारिया, परसापानी, छुईहा, चिखलावरी, कूपाबांधा, झरना, पंडरीपारी, टांटीधार, ठोड़ीनार, लठौरी, बरबुड, बथरापूरा, सरगोड़, गौरखुरी, बगधरा, चाटीडांड, करवा, उपका, अटडडा, पहाड़बछाली, औरापानी, बरपाली, नगपुरा, कमईबहरा, छतौना, झिराखोला, परमापानी, मझगंवा, छिदंवाड़, कंचनपुर, खैरझिटी, बंगलाभाठा, कुम्हड़ाखेल, तेंदूभाठा, सेलर, पचरा, उमारियादादर, कोईलारी, भंडीमुड़ा, शिवतराई, परसदा, करहीकछार, रतखंडी, चाटापारा, भेलवाटिकारी, लूफा, शक्तिबहरा, बहेरामुड़ा, भैसाझार, बछालीखुर्द, कुंआ, टेंगनमाड़ा, कुरुवार।
मलेरिया से मौत के बाद गुरुवार की सुबह दोनों भाइयों का पीएम कराया गया। हालांकि कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कीट की जांच में दोनों को मलेरिया पाजिटिव बताया गया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस बात को नहीं मान रहे हैं। वही अब पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। पीएम होने के बाद स्वजन ने दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार कर दिया है। स्वजन का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग का मलेरिया नियंत्रण कार्य सही नहीं रहा है।मलेरिया के मामले आने से यह तो साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में इनके और भी मरीज मिल सकते हैं। वही आने वाले दिनों में डेंगू के मामले भी सामने आ सकते हैं,क्योंकि जुलाई से लेकर अक्टूबर तक का महीना डेंगू के लिए बेहद संवेदनशील रहता है। ऐसे में कोटा क्षेत्र के साथ ही जिले के कालरी क्षेत्र में डेंगू के मामले आने की आशंका बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग मलेरिया को लेकर कितना गंभीर है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रभावित क्षेत्र में छिड़काव के लिए इनके पास डीडीटी पाउडर नहीं है। पिछली बार 2023 के गर्मियों में डीडीटी पाउडर का छिड़काव किया गया था। इसके बाद संवदेनशील क्षेत्र होने के बाद भी मच्छर नियंत्रण के लिए कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। वहीं मलेरिया विभाग का कहना है कि हमारे पास डीडीटी पाउडर नहीं है। मलेरिया प्रकोप को देखते हुए शासन से डीडीटी पाउडर की डिमांड की जाएगी। साफ है कि इस प्रक्रिया में समय लगेगा।मलेरिया विभाग का दावा रहा है कि बीते पांच साल में मलेरिया को नियंत्रण में लाया जा चुका है। लेकिन यह बात सिर्फ विभाग की फाइल तक सीमित है। साल 2023 में मलेरिया के 60 मामले सामने आए थे। इसमें एक बच्चे की मौत हुई थी। 2024 में जनवरी से जून तक मलेरिया के सात मामले सामने आए थे। वहीं 15 जुलाई के बाद महज तीन दिन में 14 मामले सामने आ गए हैं। इसमें दो की मौत हुई है। इसी तरह 2023 में डेंगू के 107 मामले आए थे, जो इस साल अब तक की स्थिति में 42 मरीज मिल चुके है। अब देखना यह है कि विभाग मलेरिया रोकथाम में कितना सक्रिय होता है।
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