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भागवत कथा में गौ माता का महत्व बताया

विदिशा। गौ सिक्यूरिटी फ़ोर्स के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद् गौ भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथा वाचक गौवत्स पं. अंकितकृष्ण तेनगुरिया वटुकजी ने देवहूति कर्दम ऋषि की कथाएं, भगवान कपिल के अवतार की कथा और माता देवहूति को अष्टांग योग के ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया।
कथावाचक महाराज ने गृहस्थ जीवन में गौ माता के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि गौ माता हेतु विदिशा में गौ सिक्योरिटी फोर्स के तत्वाधान में नव निर्मित गौ हॉस्पिटल बनने जा रहा है। सभी शहर वासियों से अपील करते हुए कहां की अधिक से अधिक संख्या में जुड़कर सहयोग प्रदान करें। इस दौरान पांडाल के समीप स्थित तुलसी महारानी के दरबार में बड़ी संख्या में महिलाओं ने परिक्रमा की। कथा के यजमान गायत्री कृष्ण कुमार शर्मा परिवार का महाराज ने दुपट्टा पहनाकर सम्मान किया तथा यजमान परिवार ने भागवत की आरती की। आगे महाराज बताते हैं कि गौमाता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूंछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है। गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं। लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई, क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना ही नहीं बची। रोज सुबह गौ-दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी इसलिए गौ-दर्शन को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है। गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ मांगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। इसकी बड़ी महिमा सूरदास और तुलसीदास ने गौ कथा का वर्णन कर की है। लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम कि भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेगी। इस अवसर पर कथा पंडाल में भक्तों के अतिरिक्त गौ सिक्योरिटी फोर्स के युवा मौजूद रहे।

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