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राजहठ, परिवारवाद की हताशा से हलाकान गुना जिला


मोहनलाल मोदी 
भोपाल। वर्तमान चुनावी परिदृश्य में गुना जिला राजहठ की हताशा से हलाकान दिखाई दे रहा है। पूर्व से ही यह जिला सिंधिया और दिग्विजय राजघराने के बीच रस्साकशी का सामान बनता आया है। लेकिन इस बार तस्वीर साफ है। भाजपा में सिंधिया की तूती बोल रही है तो कांग्रेस में दिग्विजयी परचम लहरा रहा है। गुना जिले की चारों विधानसभा सीटों पर इन दोनों राजघरानों का वर्चस्व साफ देखा जा सकता है। पहले भाजपा की बात करते हैं। चार में से तीन विधानसभा सीटों पर नए सनातनी अवतरित हुए हैं। इनमें चाचौरा से प्रियंका मीणा, राघोगढ़ से हीरेंद्र सिंह उर्फ बंटी बना, बमोरी से महेंद्र सिंह सिसोदिया भाजपा प्रत्याशी है। इन तीन भाजपा प्रत्याशियों में से दो नूतन भाजपायी सिंधिया के कृपा पात्र होने से अनुग्रहीत हुए हैं। उनके नाम हैं बमोरी के महेंद्र सिंह सिसोदिया और राघोगढ़ के हीरेंद्र सिंह। ले देकर गुना का प्रत्याशी मात्र भाजपाई कैडर का बचा, सो वह भी मजबूरी का नाम पन्नालाल बनकर सामने आया। नतीजतन भाजपा की दृष्टि से जिलेभर में चुनावी हालात विचित्र दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए - सिंधिया की हठ के चलते राघौगढ़ में जिसे भाजपा का टिकट मिला है वह कांग्रेसी दिग्गज दिग्विजय सिंह का कुटुंबी ही है। फल स्वरुप क्षेत्र के भाजपाई अपने ही पार्टी प्रत्याशी से बिदकते देखे जा रहे हैं। बमोरी में महेंद्र सिंह सिसोदिया का भारी विरोध था। पार्टी टिकट देना नहीं चाह रही थी। यहां भी सिंधिया अड़ गए और जीत की गारंटी देकर अपने कृपा पात्र का टिकट हासिल करने में सफल रहे। अब मतदाता आर पार के मूड में डटे हुए हैं। बमोरी की राजहठ गुना को भारी पड़ गई। यहां नए प्रत्याशी की अत्यावश्यकता होने पर भी पूर्व में रिजेक्ट किए गए पन्नालाल शाक्य को झाड़ पौंछकर चमक प्रदान करने की मजबूरी दृष्टव्य है। चाचौड़ा में एकदम नया चेहरा है प्रियंका मीणा, अपने दम पर टिकट पाने में सफल रही हैं। लेकिन सामने घमासान है, क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दिग्विजय के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह लोहा ले रहे हैं। ममता मीना आप से खड़ी होकर कोढ़ में खाज की स्थिति बना रही हैं। कांग्रेस की बात करें तो यहां दिग्विजय सिंह का परचम लहराता दिखाई देता है। इससे भी ज्यादा उनके द्वारा परिवारवाद को बढ़ावा दिया जाना स्पष्ट नजर आता है। उदाहरण के लिए - उन्होंने गृह क्षेत्र राघोगढ़ से पार्टी प्रत्याशी अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को बनवाया है। जबकि चाचौरा में छोटे भाई लक्ष्मण सिंह के हाथ में हाथ का पंजा थमा दिया है। बमोरी में पूर्व राज्य मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल के पुत्र ऋषि अग्रवाल को टिकट मिला है। भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी एक विधानसभा क्षेत्र में फ्रेश और नया चेहरा दिया है। यह चेहरा है कांग्रेस के गुना प्रत्याशी पंकज कनेरिया का। हालांकि इसे लेकर भी जयवर्धन सिंह और दिग्विजय सिंह का घेराव हो चुका है। इस पूरे परिदृश्य पर निगाह डाली जाए तो यह समझ में आ जाता है कि गुना जिला पूरी तरह से राजहठ के आधीन है। यदि चाचौरा की भाजपा प्रत्याशी प्रियंका मीणा और गुना के भाजपा प्रत्याशी पन्नालाल को छोड़ दें तो बाकी प्रत्याशियों पर परिवारवाद और सामंतवाद की छाया स्पष्ट देखी जा सकती है। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि गुना जिले की जनता राजहठ और परिवारवाद की शिकार राजनीति को मतदान के रोज कौन सा सबक सिखाती है।
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