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आतिशबाजी में खाक हुए करोड़ों रुपए

सोना चांदी की बंपर बिक्री और जीएसटी की घटी दरों ने इस बार की दीपावली को धमाकेदार बना दिया। वहीं आतिशी धमाकों के मामले में राजधानी एक बार फिर ठगी की शिकार बन गई । जी हां भोपाल के बाजारों में हमेशा की तरह इस बार भी नकली पटाखों की भरमार रही। अनेक बंदिशें के बावजूद यह पटाखे हर गली नुक्कड़ पर जमकर बिके, लेकिन चले नहीं। फल स्वरुप हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी भोपाली फुस्स पटाखों से निराश होते दिखाई दिए। आतिशबाजी धमाकों वाली हो या फिर रोशनी वाली, सभी तरह की सामग्री ज्यादातर धुंआ फैलती ही नजर आई । इन से लोगों का मनोरंजन कम हुआ बल्कि प्रदूषण ज्यादा फैला । वह तो भला हो नगर निगम और फायर ब्रिगेड के सिपाहियों का, जो दीपावली की रात भर हवा में पानी की तेज फुहारें उड़ाते रहे। जिसके चलते राजधानी का एयर कंट्रोल इंडेक्स काबू में बना रहा। वर्ना इन नकली फुस्स पटाखों ने पर्यावरण को बिगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परेशानी की बात यह है कि ग्राहकों को बाजार में पटाखों के बड़े ब्रांड बहुतायात में मिले ही नहीं। शायद ही कोई ऐसी दुकान हो जहां पर स्टैंडर्ड, कैलीश्वर, अजंता, श्री बालाजी, कोरोनेशन आदि कंपनियों की आतिशबाजी सहजता से उपलब्ध हो पाई हो। कारण साफ है, इन पर थोक और खेरीज विक्रेताओं को आर्थिक लाभ एक सीमा तक ही मिलता है। जबकि नकली ब्रांड की आतिशबाजी में लागत से दो और तीन गुना ज्यादा तक मुनाफा बना रहता है। थोक खरीदी कच्चे बिल पर और खेरीज बिक्री बगैर बिल की होने से एक ओर उपभोक्ता फोरम में दावे निस्तेज हो जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर सरकार को जीएसटी का भारी नुकसान भी होता है। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार की बारूद ने सरकार, उपभोक्ता और पर्यावरण में से किसी को भी नहीं बख्शा। आतिशबाजी के मामले में दिवाली भोपालियों की कम, पटाखा व्यवसाइयों के लिए ज्यादा आनंददायक साबित हुई।
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